Amazing Country
- -यह सभी 7 प्रमुख खाद्य समूहों का उत्पादन करता है
- -यह वैश्विक खाद्य प्रणाली की कमजोरियों के बिल्कुल विपरीत
- -कुछ जानकारों का मानना है कि व्यापार युद्ध और जलवायु परिवर्तन से खाद्य सुरक्षा को खतरा
Amazing Country : नई दिल्ली। इस दुनिया में केवल एक ही देश ऐसा है जो अपना सारा भोजन पैदा कर सकता है। एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि गुयाना खाद्य आत्मनिर्भरता में अकेला खड़ा है। यह सभी 7 प्रमुख खाद्य समूहों का उत्पादन करता है। यह वैश्विक खाद्य प्रणाली की कमजोरियों के बिल्कुल विपरीत है। कुछ जानकारों का मानना है कि व्यापार युद्ध और जलवायु परिवर्तन से खाद्य सुरक्षा को खतरा है। कई देश बुनियादी खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं। ये देश उत्तम खेती के लिए एकदम लचीली नीतियों पर फोकस करता है। नेचर फूड में प्रकाशित और साइंस फोकस द्वारा उजागर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि 186 देशों में से केवल गुयाना सभी सात प्रमुख खाद्य समूहों की अपनी आबादी को पूरी तरह से खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन का त्पादन कर सकता है। एक छोटे से देश ने बड़े-बड़े विकसित देशों खासकर अमेरिका और पश्चिमी देशों समेत दुनियाभर को नसीहत देते हुए कामयाबी की नई लकीर खींच दी है। गुयाना ने ऐसा कारनामा किया है कि यूएन से लेकर हर सरकारी और गैर सरकारी संगठन इस उपलब्धि पर यहां के नेतृत्व और आम लोगों की तारीफ करते हुए उनकी पीठ थपथपा रहे हैं।
इकलौता देश सुंदर भी फूड सिक्योर भी…
जब दुनिया सामाजिक अन्याय, गरीबी, जलवायु परिवर्तन और बढ़ती खाद्य असुरक्षा के मुद्दे से जूझ रही है, उसी समय एक नई स्टडी में चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है। पूरी धरती पर केवल एक ही देश ऐसा है जो आयात पर निर्भर हुए बिना अपने लोगों को खिलाने के लिए आवश्यक सभी भोजन का उत्पादन कर सकता है।
जरूरत भर का खाना खुद पैदा कर लेते हैं यहां के लोग
यहां लोग बेहद ईमानदार और मेहनती हैं। यहां फूड मार्केट में कालाबाजारी नहीं होती ना ही कोई यहां पर फूड स्टोर करके सरकार से छिपा के रखता है। लोगों की ईमानदारी की वजह से इस देश को आज फूड सिक्योरिटी के मामले में आत्मनिर्भर कहा जा रहा है। यहां कोई माल दबाकर नहीं रखता। इसलिए सही दाम में सबको अच्छी क्वालिटी का खाद्य पदार्थ मिल जाता है।
ये चमत्कार से कम नहीं
येदेश प्राकितक सुंदरता से घिरा है। यहां जंगल हैं, झरने हैं, नदिया हैं। पानी की कमी नहीं है। टूरिज्म से अच्छा खासा पैसा यहां आता है। यहां के लोग मिलनसार हैं। लाखों भारतीय हर साल इस देश में घूमने जाते हैं, उन्हें वहां अच्छा माहौल मिलता है और वो बेहतरीन लोकेशन घूमने के साथ यहां का शानदार फूड आइटम खाकर अपनी ट्रिप को सफल बनाते हैं।
‘केमिकल’ वाला अनाज, फल और सब्जी नहीं खाते
इस देश में ऑर्गेनिक खेती पर जोर दिया गया है। गुयाना आज खाद्ध उत्पादन सुरक्षा के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो चुका है। जबकि दूसरी ओर अरब प्रायद्वीप जैसे छोटे द्वीप राज्य और अन्य कम आय वाले देश आयातित भोजन पर निर्भर हैं। स्टडी में पता चला कि यूएई यानी संयुक्त अरब अमीरात (दुबई), इराक, कतर, यमन और अफगानिस्तान इस अध्यययन के बेंचमार्क को पूरा करने में सक्षम होने के लिए किसी भी खाद्य समूह का पर्याप्त उत्पादन करने में नाकाम रहे, यानी फेल हो गए।
दालें, फल और सब्जी सब फ्रेश
इस अध्ययन के मुख्य लेखक जोनास स्टेहल ने बीबीसी साइंस फोकस को बताया, ‘कम पर्याप्तता स्वाभाविक रूप से खराब नहीं है। वे वैध और अक्सर लाभकारी कारण हैं कि क्यों कोई देश अपने अधिकांश भोजन का उत्पादन करने में सक्षम नहीं हो सकता है। स्टेहल ने कहा, आत्मनिर्भरता का निम्न स्तर किसी देश की अचानक वैश्विक खाद्य आपूर्ति के झटके जैसे सूखे, युद्ध या निर्यात प्रतिबंध का जवाब देने की क्षमता को कम कर सकता है। गुयाना आज फूड सिक्योरिटी में आत्मनिर्भर होने के बाद पूरी दुनिया के लिए नई पॉजिटिव सेंसेशन बन गया है।
किसी पर निर्भर नहीं
खाद्य आत्मनिर्भरता पर गुयाना का यह नया फोकस एक बड़ी समस्या को भी प्रतिबिंबित कर सकता है, जिसे हम अक्सर इसे नज़रअंदाज कर सकते हैं, क्योंकि दुनिया संपूर्ण विकास की दिशा में आगे बढ़ रही है, गुयाना का खाद्ध सुरक्षा के मामले में आत्मनिर्भर होना पूरी दुनिया के हर छोटे-बड़े देश को एक प्रेरणा देने के साथ वैश्विक खाद्य प्रणाली की नाजुकता की याद दिलाता है। अब बड़ा सवाल यह है कि दुनिया पर मंडराने वाले अगले खाद्ध संकट से पहले अन्य देश कितनी जल्दी कार्य पूरा करते हुए कृषि यानी खाद्ध मामलों में आत्मनिर्भर होंगे।
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