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Doctors News : एमबीबीएस परीक्षा घोटाले में प्रशासनिक कार्रवाई की मांग

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  • डीएमए ने रोहतक डीसी को सौंपा मुख्यमंत्री ने नाम ज्ञापन
  • एमबीबीएस परीक्षा घोटाले के आरोपितो पर कड़ी कार्रवाई की जाए:डॉ व्यास
  • चिकित्सा शिक्षा की साख बचाने के लिए डीएमए का मोर्चा – कार्रवाई और पारदर्शिता पर ज़ोर

रोहतक। डेमोक्रेटिक मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) ने यूएचएस विश्वविद्यालय से संबंधित हालिया एमबीबीएस परीक्षा घोटाले पर गहरी चिंता व्यक्त की है।इसके लिए डीएमए के प्रतिनिधित्व ने राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अमित व्यास की अध्यक्षता में जिला उपायुक्त रोहतक और परीक्षा नियंत्रक(यूएचएस रोहतक) को ज्ञापन सौंपा। ये ज्ञापन मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नाम सौंपा गया। राष्ट्रीय आरटीआई सेल हेड दीपक राठी जी,मेडिकल स्टूडेंट्स सचिव तरुण एवं सन्नी ने बताया कि यह मामला न केवल चिकित्सा शिक्षा की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है, बल्कि ईमानदारी से अध्ययन करने वाले हजारों छात्रों के भविष्य को भी प्रभावित कर रहा है। डीएमए के अनुसार, मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया है कि परीक्षा के प्रश्नपत्र परीक्षा से पूर्व कुछ छात्रों तक पहुँचे और उत्तर पुस्तिकाओं को हरियाणा तक पहुँचाने में अवैध रूप से धन का लेनदेन हुआ। यह घटना परीक्षा प्रक्रिया की गरिमा को ठेस पहुँचाने के साथ-साथ शिक्षा तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की गंभीरता को दर्शाती है।

ये मांगें रखी

1. एफआईआर दर्ज होने के बाद सम्मिलित छात्रों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध अब तक की गई अनुशासनात्मक और प्रशासनिक कार्यवाही की सार्वजनिक जानकारी दी जाए।
2. दोषी छात्रों को परीक्षा से निष्कासित/निलंबित करने सहित कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
3. इस घोटाले में सम्मिलित किसी भी विश्वविद्यालय अधिकारी, कर्मचारी या बाहरी व्यक्ति पर सख्त प्रशासनिक एवं कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
4. विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रणाली की तकनीकी समीक्षा कर उसे पूर्णतः पारदर्शी, सुरक्षित और धोखाधड़ी-रहित बनाया जाए।
5. अब तक हुई कार्यवाहियों और भविष्य की कार्ययोजना को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जाए।
6. जांच समिति में डीएमए प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए ताकि प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी हो सके।
डॉ व्यास ने कहा कि यह केवल परीक्षा की निष्पक्षता का नहीं, बल्कि चिकित्सा शिक्षा के मूल्यों — ईमानदारी, योग्यता और सेवा — की रक्षा का विषय है। ऐसे मामलों पर कठोर कार्रवाई न केवल छात्रों का मनोबल बहाल करेगी, बल्कि समाज का विश्वास भी पुनः स्थापित करेगी।

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