Trump Momb
- -ट्रंप ने ब्रांडेड दवाओं पर 1 अक्टूबर से लगाया 100 फीसदी टैरिफ, भारत की मामले पर पैनी नजर
- -बोले जायसवाल, सोशल मीडिया से मिली हमें इसकी जानकारी
- -मुद्दे के प्रभावों की जांच में जुटे संबंधित मंत्रालय और विभाग
- -रूसी सेना में सेवारत हैं 27 भारतीय, नागरिकों की रिहाई के लिए प्रयास जारी।
Trump Momb : नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति ने रूस से तेल खरीद के मसले पर एक बार फिर से नई दिल्ली को अपने निशाने पर लिया है। जिसमें उन्होंने ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं के आयात पर शत-प्रतिशत (100 फीसदी) तक टैरिफ लगाने की घोषणा की है। जो अगले महीने की शुरुआत यानी 1 अक्टूबर से पूरी तरह से लागू हो जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमने बीते गुरुवार को मामले पर सोशल मीडिया में एक नोटिस देखा है। जिसमें नए टैरिफ के बारे में बात की गई है। साथ ही मंत्रालय फार्मा और अन्य उत्पादों से संबंधित खबरों के बारे में भी पूरी तरह से अवगत है। संबंधित विभाग और मंत्रालय इस विषय पर बेहद निकटता से नजर रखते हुए इसके प्रभावों की जांच-पड़ताल कर रहे हैं। यह जानकारी रणधीर ने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में पूछे गए प्रश्नों के जवाब में दी है।
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर की पोस्ट
दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति ने ट्रुथ सोशल पर अपनी एक पोस्ट में कहा कि 1 अक्टूबर 2025 से हम किसी भी ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100 फीसदी टैरिफ लगाएंगे। यह कंपनियों पर तब तक लागू रहेगा। जब तक कि वो अमेरिका में अपना प्लांट स्थापित नहीं कर लेती हैं या इस संबंध में अपने काम का आगाज नहीं कर लेती हैं। प्लांट की स्थापना यानी निर्माण का अभिप्राय यहां पर भूमि निर्माण या निर्माणाधीन से है। मतलब साफ है कि अगर इन दवाओं पर निर्माण शुरू हो गया है तो वह टैरिफ से अछूती रहेंगी।
पहले लगाया 50 फीसदी टैरिफ
उल्लेखनीय है कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने पूर्व में भारत पर रूस से किए जा रहे कच्चे तेल के आयात को लेकर दुनिया में सबसे ज्यादा 50 फीसदी टैरिफ लगाया था। जिसमें 25 फीसदी भाग जुर्माने से जुड़ा हुआ है। ट्रंप ये भी कह चुके हैं कि भारत और चीन यूक्रेन युद्ध के बीच रूस की जंग को बढ़ावा देने के लिए अपने तेल आयात के जरिए उसे एक प्रकार से उसे वित्तीय मदद के साथ ही युद्ध के लिए जरूरी ईंधन भी प्रदान कर रहे हैं। भारत को लेकर हालांकि कभी उनका रुख नरम तो कभी अत्यधिक गरम नजर आता है। उसमें स्थायित्व के साथ संतुलन की कमी लगातार बनी हुई है। भारत ने इस विषय पर अपना पक्ष पूरी तरह से साफ कर दिया है। उसने कहा है कि उसकी रूस से चल रही तेल खरीद पूरी तरह से देश की आम-जनता की ऊर्जा जरूरतों की हर हाल में पूर्ति और आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए की जा रही है।
रूसी सेना में तैनात 27 भारतीय
रणधीर ने एक अन्य प्रश्न के जवाब में कहा कि भारत की जानकारी के मुताबिक, वर्तमान में रूस की सेना में 27 भारतीय नागरिक सेवारत (तैनात) हैं। विदेश मंत्रालय इस मामले में उनके परिवार के सदस्यों के साथ बेहद निकटता से संपर्क बनाए हुए है। हमने अपने नागरिकों की रिहाई के लिए मुद्दे को जोरदार अंदाज में उठाया है। मंत्रालय एक बार फिर से सभी भारतीयों से यह अनुरोध करता है कि वो रूस की सेना में सेवा करने के लिए दिए जा रहे प्रस्तावों से दूरी बनाकर रखें। क्योंकि इन प्रस्तावों के साथ खतरा और जीवन के लिए जोखिम साथ में जुड़ा हुआ है।
एफ1बी वीजा पर बना हुआ संपर्क
उन्होंने बीते 22 सितंबर को न्यूयॉर्क में यूएनजीए की बैठक के पूर्व में भारत और अमेरिका के विदेश मंत्रियों की ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई पहली प्रत्यक्ष द्विपक्षीय बैठक का भी जिक्र किया। जिसमें बताया कि बैठक में विदेश मंत्री मार्को रुबियो और डॉ.एस.जयशंकर के बीच हुई चर्चा के केंद्र में व्यापार व शुल्क जैसे मुद्दों पर केंद्रित थी। द्विपक्षीय संबंधों के अन्य पहलुओं पर भी इस दौरान चर्चा की गई थी। एच1बी वीजा के मामले पर विदेश मंत्रालय और वाशिंगटन डीसी में हमारा दूतावास अमेरिका के प्रशासन के साथ सक्रिय संपर्क में बना हुआ है। जिसके बाद अमेरिकी पक्ष ने स्पष्टीकरण के साथ ही एफएक्यू जारी किए कि ये कैसे आगे बढ़ेगा? अभी एच1बी वीजा एक उभरती हुई स्थिति है। दोनों पक्ष विभिन्न स्तरों पर संपर्क में हैं।
अमेरिका से हुई 2,417 भारतीयों की वापसी
रणधीर ने कहा कि इस साल जनवरी महीने से 2 हजार 417 भारतीयों को वापस भारत भेजा जा चुका है। हमारा अवैध प्रवासन को लेकर मजबूत रुख कायम है। साथ ही हम प्रवासन के वैध तरीकों को बढ़ावा दिए जाने के पक्ष में हैं। लेकिन साथ ही ऐसे किसी भी मामले में भारतीय नागरिक होने को लेकर किए जा रहे किसी भी दावे की हम बेहद गंभीरता के साथ व्यापक पड़ताल करते हैं। उदाहरण के साथ उन्होंने बताया कि ऐसा कोई व्यक्ति जिसकी किसी अन्य देश में कोई वैध उपस्थिति नहीं है। बावजूद इसके अगर वो यह दावा करे कि वह एक भारतीय नागरिक है। हम उससे जुड़ी हुई पृष्ठभूमि की जांच करेंगे, उसकी राष्ट्रीयता को पुख्ता करेंगे और उसके बाद उसे स्वदेश में वापस लेने की स्थिति में होंगे। यह प्रक्रिया अमेरिका से भारत वापस भेजे जा रहे तमाम लोगों के संबंध में भी लागू होती है।