Haryana News
- -डॉ. शर्मा के अनुभव और नेतृत्व से नीति अनुसंधान, वार्ताओं और विकास सहयोग का दायरा और अधिक सशक्त होगा
- -रोहतक में जन्मे डॉ. शर्मा साधारण परिवार से आते हैं। उनके पिता मैकेनिक रहे हैं और आज भी उनका परिवार रोहतक की नेहरू कॉलोनी में निवास करता है
- -विश्व व्यापार संगठन (WTO) की कृषि वार्ताओं में सक्रिय भूमिका निभा रहे
Haryana News : नई दिल्ली। रिसर्च एंड इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर डिवेलपिंग कंट्रीज़ (आरआईएस), नई दिल्ली – जो विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत एक प्रमुख थिंक टैंक है–ने डॉ. सचिन कुमार शर्मा को महानिदेशक नियुक्त किया है। यह संस्था विकासशील देशों, विशेषकर अल्पविकसित देशों (LDCs) के लिए अनुसंधान, नीति संवाद और क्षमता निर्माण का कार्य करती है। आरआईएस का कहना है कि डॉ. शर्मा के अनुभव और नेतृत्व से नीति अनुसंधान, वार्ताओं और विकास सहयोग का दायरा और अधिक सशक्त होगा। संस्था का मिशन समावेशी वृद्धि, सतत विकास और दक्षिण–दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देना है, जिसे अब नई ऊर्जा मिलेगी। सन् 1978 में हरियाणा के रोहतक में जन्मे डॉ. शर्मा साधारण परिवार से आते हैं। उनके पिता मैकेनिक रहे हैं और आज भी उनका परिवार रोहतक की नेहरू कॉलोनी में निवास करता है। जैन हाई स्कूल, रोहतक से मैट्रिक, हिन्दू कॉलेज से स्नातक और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर करने के बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), नई दिल्ली से अर्थशास्त्र में एम.फिल और पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
डॉ. शर्मा ने विदेशों में भी कई विशिष्ट प्रशिक्षण पूरे किए हैं, जिनमें ऑस्ट्रेलिया अवॉर्ड्स के अंतर्गत यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू इंग्लैंड से कृषि एवं खाद्य सुरक्षा तथा यूएन–ईएसकैप, यूएनईपी और यूएनसीटैड से जलवायु–स्मार्ट व्यापार और निवेश से संबंधित प्रशिक्षण प्रमुख हैं।
ऐसे हुई पेशेवर यात्रा की शुरुआत
उनकी पेशेवर यात्रा की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) में मानव विकास रिपोर्ट (2008–2009) पर कार्य से हुई। इसके बाद वे भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी), नई दिल्ली के डब्ल्यूटीओ अध्ययन केंद्र (CWS) में प्रोफ़ेसर बने। पिछले लगभग 16 वर्षों से वे भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए विश्व व्यापार संगठन (WTO) की कृषि वार्ताओं में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उनके योगदान से भारत ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार वार्ताओं में ठोस आधार प्राप्त किया और किसानों के हित सुरक्षित रहे। विशेष रूप से, उनके प्रयासों से बाली पीस क्लॉज़ लागू हुआ, जिसके तहत भारत के सार्वजनिक भंडारण कार्यक्रम संभावित डब्ल्यूटीओ विवादों से सुरक्षित हो गए।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य रहे
डॉ. शर्मा पाँच डब्ल्यूटीओ मंत्रीस्तरीय सम्मेलनों—अबू धाबी (2024), जेनेवा (2022), ब्यूनस आयर्स (2017), नैरोबी (2015) और बाली (2013)—में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य रहे हैं। उन्होंने भारत की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नीति को विकसित देशों की चुनौतियों से बचाने में भी अहम भूमिका निभाई।
एक प्रख्यात विद्वान के रूप में डॉ. शर्मा छह पुस्तकों और अनेक शोध लेखों के लेखक हैं। उनकी चर्चित पुस्तक “WTO and Food Security” ने विकासशील देशों में खाद्य सुरक्षा और व्यापार नियमों पर विमर्श को नई दिशा दी। डॉ. शर्मा की यात्रा संघर्ष, लगन और उद्देश्यपूर्ण प्रयासों की प्रेरक गाथा है—रोहतक की गलियों से निकलकर जिनेवा के वैश्विक मंचों तक, और अब आरआईएस के महानिदेशक पद तक पहुँचना युवाओं के लिए एक मिसाल है।