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Haryana News : रेजिडेंट डॉक्टर्स वार्षिक अवकाश नीति हरियाणा में जमीनी स्तर पर लागू : डॉ व्यास

Haryana News

  • -डॉ. अमित बोले, यूडीएफ़ के संघर्ष से मिली ऐतिहासिक जीत
  • -मानवता की सेवा में दिन-रात लगे डॉक्टर्स के लिए बड़ी राहत
  • -देश में लागू किया जाए हरियाणा का रोहतक मॉडल
  • -संगठित प्रयास से डॉक्टरों के हक की लड़ाई जीती
  • – यूडीएफ़ टीम का डॉक्टरों से आग्रह, संगठन से जुड़ें
  • -आने वाले समय में मिलकर हक और सम्मान की लड़ाई मजबूती से लड़ सकेंगे

Haryana News : चंडीगढ़। हरियाणा में रेज़िडेंट डॉक्टर्स के हित में गुरुवार को एक ऐतिहासिक फ़ैसला आया है। हज़ारों डॉक्टर्स को उनका साप्ताहिक, आकस्मिक और वार्षिक अवकाश मिल गया है। पंडित बी.डी. शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज़, रोहतक द्वारा 5 फरवरी 2025 को जारी आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि अब से रेज़िडेंट डॉक्टर (एमडी/एमएस) प्रतिवर्ष 52 में से केवल 10 रविवारों को कार्य करेंगे और बदले में उन्हें 10 अतिरिक्त अवकाश मिलेंगे। इसके अलावा उन्हें 20 आकस्मिक छुट्टियां भी दी जाएंगी, जैसा कि एनएमसी की अधिसूचना में निर्देशित है। हरियाणा में इसका श्रेय यूडीएफ़ की अथक मेहनत, संघर्ष और नेतृत्व को जाता है। हरियाणा एवं चंडीगढ़ के यूडीएफ़ अध्यक्ष डॉ. अमित व्यास के नेतृत्व में यूडीएफ ने मुहिम चलाई और रेजिडेंस डॉक्टर्स को उनका हक दिलवा दिया। इस अधिकार को पाने के लिए यूडीएफ़ की टीम ने लगातार सरकार, स्वास्थ्य विश्वविद्यालय और विधायकों के साथ संघर्ष किया। डॉ. अमित व्यास ने टीम के साथ बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बडोली, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता, विधायक सावित्री जिंदल व यूनिवर्सिटी के कुलपति व डीन से कई बार भेंट की और हर मंच पर डॉक्टरों की आवाज़ को मजबूती से उठाया। इस मुहिम को राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. लक्ष्य मित्तल का भी पूर्ण समर्थन प्राप्त रहा, जिन्होंने पूरे देश में इसे हर मेडिकल कॉलेज में लागू करने की मांग रखी। उनके मार्गदर्शन में डॉ. अमित व्यास और उनकी टीम ने यह साबित किया कि संगठित प्रयास से डॉक्टरों के हक की लड़ाई जीती जा सकती है।

टीम यूडीएफ़ को धन्यवाद

इस सफलता में डॉ. अमित व्यास अकेले नहीं थे। उनके साथ खड़े थे यूडीएफ़ हरियाणा-चंडीगढ़ की समर्पित राज्य टीम, जिन्होंने कदम-कदम पर सहयोग दिया। टीम में डॉ. शुभ प्रताप सोलंकी (उपाध्यक्ष, यूडीएफ़ हरियाणा व चंडीगढ़), डॉ. हेमंत, डॉ. सरिता, जिन्होंने लगातार बिना अवकाश ड्यूटी से होने वाली मानसिक थकान और इसके दुष्प्रभावों को प्रमुखता से उठाया। डॉ. संदीप, डॉ. श्रुति, डॉ वर्षा जांगड़ा, डॉ. निखिल, डॉ. प्रीतम, डॉ. ऋषभ गर्ग, डॉ. अर्जुन, डॉ. ईशिका, डॉ. दीपक यादव, डॉ अमीषा मिश्रा, चित्रांशी और अन्य सभी डॉक्टर साथी जिन्होंने प्रतिनिधिमंडल के माध्यम से विधायक और स्वास्थ्य मंत्रालय तक अपनी बात पहुंचाई।

भविष्य की योजना

यूडीएफ़ ने स्पष्ट कर दिया है कि यह केवल एक शुरुआत है। भविष्य में भी पीजी डॉक्टर्स, मेडिकल छात्रों एवं इंटर्न्स से जुड़ी हर समस्या पर यूडीएफ़ मजबूती से आवाज़ उठाएगा। अवकाश का यह अधिकार मानवता की सेवा में दिन-रात लगे डॉक्टर्स के लिए एक राहत है, और यह ज़रूरी है कि पूरे देश में इस मॉडल को अपनाया जाए। हरियाणा में जो बदलाव आया है, वह पूरे देश के लिए एक रोल मॉडल है। यह यूडीएफ़ के संगठित प्रयास, डॉक्टरों की एकता, और डॉ. अमित व्यास जैसे नेतृत्व की जीत है। यूडीएफ़ टीम सभी डॉक्टरों से आग्रह करती है कि वे इस संगठन से जुड़ें, ताकि आने वाले समय में भी हम मिलकर अपने हक और सम्मान की लड़ाई मजबूती से लड़ सकें।

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