Delhi Chunav
- नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 17 जनवरी
- नामांकन पत्रों की जांच 18 जनवरी तक की जाएगी
- उम्मीदवार 20 जनवरी तक नामांकन वापस ले सकेंगे
- डेढ़ करोड़ मतदाताओं के लिए 33 हजार बूथ बनाए
- 33 दिन में पूरी होगी चुनावी प्रकि्रया
- 70 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 36 सीट जरूरी
- मुख्य चुनाव आयुक्त बोले, ईवीएम हैक नहीं किए जा सकते
- विपक्षी दलों के आरोप पूरी तरह से निराधार
Delhi Chunav : नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में मंगलवार को चुनावी बिगुल बज गया। यहां की 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए पांच फरवरी को मतदान होगा, जबकि मतों की गिनती तीन दिन बाद आठ फरवरी को की जाएगी। निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को यहां चुनाव की तारीखों का ऐलान किया। दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी को समाप्त हो रहा है। दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटें हैं, जिसमें से 58 सामान्य श्रेणी की, जबकि 12 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 17 जनवरी है और नामांकन पत्रों की जांच 18 जनवरी तक की जाएगी। उन्होंने बताया कि उम्मीदवार 20 जनवरी तक अपना नामांकन वापस ले सकेंगे। उन्होंने कहा, ‘यह एक चरण का चुनाव है। हमने जानबूझकर बुधवार को मतदान रखा है ताकि अधिक लोग मतदान करने के लिए बाहर आएं। जैसा कि हमने महाराष्ट्र में किया।’
इन सीटों पर उपचुनाव भी साथ
उत्तर प्रदेश में मिल्कीपुर और तमिलनाडु में इरोड विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव इसी कार्यक्रम के अनुसार होंगे।
कुल 1.55 करोड़ मतदाता
-दिल्ली में कुल 1.55 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं। इनमें 83.49 लाख पुरुष तथा 71.74 लाख महिलाएं हैं।
-युवा मतदाताओं (20 से 21 वर्ष के) की संख्या 28.89 लाख है, जबकि पहली बार मतदान के पात्र युवाओं की संख्या 2.08 लाख है।
-राजधानी के 2697 स्थानों पर कुल 13,033 मतदान केंद्र होंगे और इनमें से 210 मॉडल मतदान केंद्र होंगे।
-दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में विभिन्न कानून अनुपालन एजेंसियों के साथ व्यापक चर्चा की गई है जिसमें सुरक्षा से जुड़े आयाम भी शामिल हैं।
इन दलों में मुकाबला
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। दिल्ली विधानसभा में बहुमत के लिए 36 विधायकों की आवश्यकता है।
पूरी ताकत से लड़ेंगे : केजरीवाल
आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘काम की राजनीति और गाली-गलौज की राजनीति’ के बीच मुकाबला होगा। उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय राजधानी में सरकार बनाएगी। ®केजरीवाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘यह चुनाव काम की राजनीति और गाली-गलौज की राजनीति के बीच होगा। दिल्ली की जनता का विश्वास हमारी काम की राजनीति के साथ रहेगा। हम जरूर जीतेंगे।’ केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं से पूरी ताकत और जोश के साथ मैदान में उतरने के लिए तैयार रहने की अपील की और उन्हें पार्टी की सबसे बड़ी ताकत बताया।
उन्नति वाली सरकार चुनें : नड्डा
भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विधानसभा चुनाव की घोषणा का स्वागत किया और जनता से ‘विकसित दिल्ली’ बनाने व लोगों की उन्नति में योगदान देने वाली सरकार चुनने की अपील की। नड्डा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘भारत निर्वाचन आयोग द्वारा आज दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा का मैं स्वागत करता हूं। चुनाव लोकतंत्र का महापर्व है। देश और प्रदेश के सर्वांगीण विकास, जनकल्याण और सुशासन को सुनिश्चित करने में इसकी अग्रणी भूमिका है।’ ‘मैं यहां की जनता से ‘विकसित दिल्ली’ बनाने और लोगों की उन्नति में योगदान देने वाली सरकार चुनने की अपील करता हूं।’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में भाजपा अंत्योदय के संकल्प के साथ दिल्ली के समग्र विकास के लिए कटिबद्ध है।
हम चुनाव के लिए तैयार : कांग्रेस
कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी काजी मोहम्मद निजामुद्दीन ने भी चुनाव की घोषणा का स्वागत किया और कहा कि उनकी पार्टी और उसके प्रत्याशी चुनाव के लिए तैयार हैं। लोगों से चुनाव में कांग्रेस को वोट करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को दिल्ली के गैस चैंबर से खुद को बचाने के लिए वोट करना चाहिए, उन्हें अच्छी सरकार चुननी चाहिए, उन्हें इस बात का एहसास होना चाहिए कि केंद्र में भाजपा और दिल्ली में आप के शासन ने उन्हें कितना नुकसान पहुंचाया है।’ ‘कांग्रेस के शासनकाल में दिल्ली रहने लायक थी। लोगों को कांग्रेस को वोट देना चाहिए।’
भाजपा 26 साल से दिल्ली की सत्ता से बाहर
-भाजपा विगत 26 सालों से दिल्ली की सत्ता से बाहर है। इस बार उसका पूरा जोर आम आदमी पार्टी को पराजित कर यहां भाजपा की सत्ता बहाल करने पर है। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में 8 फरवरी को मतदान संपन्न हुआ था, जबकि मतगणना 11 फरवरी को हुई थी। इस चुनाव में आप ने सभी 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 62 ने जीत दर्ज की थी।
-भाजपा ने 67 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और उसे महज आठ ही सीट पर सफलता मिल सकी। कांग्रेस सहित अन्य दलों का खाता भी नहीं खुल सका था। इससे पहले, साल 2015 के विधानसभा चुनाव में भी आप ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी को 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। भाजपा को महज तीन सीटों से ही संतोष करना पड़ा था, जबकि कांग्रेस और अन्य दलों का खाता तक नहीं खुला था।
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