Suprem
- -सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर, अदालत ने की सुनवाई
- -याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को भेजा नोटिस
Suprem : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया. याचिका में मुफ्त ऑनलाइन पॉर्नोग्राफी मटेरियल पर प्रतिबंध लगाने और यौन अपराधों के लिए दोषी व्यक्तियों को नपुंसक बनाने सहित महिलाओं की सुरक्षा के लिए देशभर में दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है। यह जनहित याचिका दिल्ली में निर्भया के साथ क्रूर सामूहिक बलात्कार और हत्या की घटना के ठीक 12 साल बाद दाखिल की गई है। निर्भया कांड के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए और बलात्कार कानून में संशोधन किया गया था। सुनवाई के दौरान, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया और कहा, ‘कुछ मुद्दे बिल्कुल नए हैं। हम दृढ़ता से उनकी सराहना करते हैं। आप जिन निर्देशों की मांग कर रहे हैं उनमें से कुछ बर्बरतापूर्ण भी हैं। आप सड़कों पर, समाज में आम महिलाओं के लिए राहत मांग रहे हैं, जो असुरक्षित हैं और जिन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।’
आरजी कर अस्पताल की घटना का जिक्र
उन्होंने आरजी कर अस्पताल बलात्कार और हत्या मामले का भी जिक्र किया और कहा, ‘आरजी कर अस्पताल की घटना के बाद 94 घटनाएं हुई हैं, लेकिन इसे मीडिया में उजागर नहीं किया गया है।’ मामले में अगली सुनवाई अब जनवरी 2025 में होगी। महालक्ष्मी पावनी, जो याचिकाकर्ता-सुप्रीम कोर्ट महिला वकील एसोसिएशन (एससीडब्ल्यूएलए) की अध्यक्ष हैं, ने आग्रह किया कि याचिकाकर्ता उन सबसे कमजोर महिलाओं के लिए देशभर में सुरक्षा दिशानिर्देश, सुधार और उपायों की मांग कर रहा हैं जिन्हें न्याय नहीं मिलता है।
बेंच ने की नए विचारों की सराहना
बेंच ने कहा, ‘आपने जो मांग की हैं उनमें से एक सार्वजनिक परिवहन में सामाजिक व्यवहार के लिए दिशानिर्देश जारी करना है, यह एक बहुत ही नया विचार है। यह बेहद महत्वपूर्ण है।’ याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी पावनी ने शीर्ष अदालत को बताया कि 2012 में हुए सामूहिक बलात्कार की घटना को कई साल बीत जाने के बावजूद अभी भी महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्याएं रुकी नहीं हैं। याचिका में अदालत से बलात्कार जैसे यौन अपराधों के लिए सजा के रूप में रासायनिक तरीके से दोषियों को नपुंसक बनाने की मांग और महिलाओं के खिलाफ ऐसे भयानक अपराधों से जुड़े मामलों में जमानत नहीं देने के नियम को लागू करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है। इस पर पीठ ने कहा, ‘हमें इस बात की जांच करनी होगी कि हम दंडात्मक कानून के उद्देश्य को हासिल करने में कहां चूक कर रहे हैं।’
https://vartahr.com/suprem-ban-online-castrate-rapists/