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- -दोनों देशों के संबंधों से जुड़े अगले कदम पर की चर्चा, दोनों ने माना कि सेनाओं की वापसी से सीमा पर लौटी शांति।
- -विशेष प्रतिनिधियों के तंत्र की जल्द बैठक आयोजित करने पर भी राजी हुए दोनों विदेश मंत्री।
- -बातचीत में शामिल रहा कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा की फिर से शुरुआत करने का मुद्दा।
Desh : नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में एलएसी विवाद समाप्ति के लिए हुए हालिया समझौते के बाद ब्राजील की राजधानी रियो डी जेनेरियो में बीते सोमवार देर रात जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की पहली महत्वपूर्ण बैठक हुई। जिसमें दोनों के बीच आपसी संबंधों से जुड़े अगले कदमों पर विचार किया गया। साथ ही यह सहमति जताई गई कि सीमा संबंधी मामलों पर चर्चा के लिए स्थापित दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों और विदेश सचिव-उप मंत्रियों के तंत्र के बीच जल्द बैठक होगी। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। बैठक में दोनों वरिष्ठ मंत्रियों ने इस बात को भी स्वीकार किया कि सीमाई इलाकों से हुई सेनाओं की वापसी ने शांति और सौहार्द को स्थापित करने में योगदान दिया है। उधर, जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट में भी रियो में हुई इस बैठक का जिक्र किया। उन्होंने कहा, जी-20 के दौरान सीपीसी पोलित ब्यूरो के सदस्य और चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। बातचीत में हमने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में हाल ही में हुई सैन्य वापसी में हुई प्रगति पर गौर किया। दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में अगले कदमों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। इसके अलावा चीन के विदेश मंत्री से बातचीत में वैश्विक स्थिति पर भी चर्चा की गई।
फिर से शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा
विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों विदेश मंत्रियों की बातचीत में कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा की फिर से शुरुआत करने, सीमा पार बहने वाली नदियों को लेकर डेटा साझा करने, मीडिया का आदान-प्रदान और भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानों की शुरुआत जैसे मुद्दों को शामिल किया गया। वैश्विक परिस्थिति और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने अपने चीन के समकक्ष से कहा कि दोनों देशों के बीच मतभेद और अभिसरण है। हम ब्रिक्स और एससीओ तंत्र में रचनात्मक रूप से कार्य कर रहे हैं। जी-20 में भी हमारा सहयोग स्पष्ट है।
किसी के दबाव में संबंधों को नहीं देखते
बातचीत में जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी को यह भी साफ किया कि हम मजबूती के साथ एक बहुध्रुवीय दुनिया के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसमें बहुध्रुवीय एशिया शामिल है। जिसे लेकर भारत चिंतित है। उसकी विदेश नीति स्वतंत्र विचारों और कदमों के साथ सैद्धांतिक और अनुकूल है। भारत दबदबा कायम करने के लिए उठाए जाने वाले एकतरफा कदमों के खिलाफ है। हमने कभी भी अपने संबंधों को दूसरे देशों के प्रभाव या दबाव के रूप में नहीं देखा है। वहीं, चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बैठक में कहा कि दोनों देशों के संबंध विश्व राजनीति में विशेषता लिए हुए हैं। हमारे नेताओं ने कजान की वार्ता में आगे बढ़ने पर सहमति जताई थी। दोनों वरिष्ठ मंत्रियों ने माना कि यह अनिवार्य है कि हमारा ध्यान संबंधों को स्थिर करने, मतभेदों को दूर करने और अगले कदम लेने पर केंद्रित होना चाहिए।
कजान में मिले मोदी-जिनपिंग
गौरतलब है कि भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पिछले महीने 21 अक्टूबर को एलएसी विवाद से जुड़े देपसांग और डेमचौक के दोनों विवादित इलाकों से तनाव खत्म होने के बाद समझौता होने की घोषणा की थी। इसके बाद रूस के कजान में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पहली द्विपक्षीय मुलाकात हुई थी। जिसमें दोनों शीर्ष नेताओं ने इस समझौते को अपनी मंजूरी प्रदान की थी और भविष्य में एलएसी से तनाव खत्म करने से जुड़े बाकी पहलुओं पर दोनों देशों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के लगातार संवाद में बने रहने को लेकर सहमति जताई। इस कवायद के साथ ही करीब साढ़े चार साल से अधिक समय के बाद एलएसी पर दोनों देशों की सेनाओं ने अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में सैन्य गश्त की शुरुआत की थी।
बैठक पर चीन की प्रतिक्रिया
चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि विदेश मंत्री वांग यी ने भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर के साथ रियो डी जेनेरियो में हुई अपनी बैठक के दौरान कहा कि दोनों देशों को सीधी उड़ानें बहाल करने, पत्रकारों का आदान-प्रदान करने और वीजा की सुविधा जैसे क्षेत्रों में यथाशीघ्र व्यावहारिक प्रगति करने का प्रयास करना चाहिए।
https://vartahr.com/foreign-minister…a-meet-in-brazil/