Hadsa
- -रोहतांग दर्रे पर हुआ था विमान हादसा
- यह मामला वायुसेना के एएन-32 विमान की चंडीगढ़ से लेह की 7 फरवरी 1968 की उड़ान से जुड़ा
Hadsa : नई दिल्ली। आज से करीब 56 साल पहले 7 फरवरी 1968 को रोहतांग दर्रे (हिमाचल प्रदेश) पर दुर्घटनाग्रस्त हुए भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान एएन-32 में सवार चार और मृतकों के शव सेना ने बरामद कर लिए हैं। इसमें चंद्रभागा माउंटेन एक्सपीडिशन का सराहनीय योगदान है। सेना के अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि यह भारतीय सेना के एक बेहद लंबे समय तक चलाए गए तलाशी अभियान में मिली असाधारण सफलता का प्रतीक है। इसमें सेना की डोगरा स्काउट्स और तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू की संयुक्त टीम शामिल थी। जिसने 29 सितंबर तक इन चार शवों को बरामद किया। उन्होंने बताया कि हादसे के वक्त इस दो इंजन वाले विमान में कुल 102 लोग सवार थे। विमान की उड़ान चंडीगढ़ से लेह तक थी। लेकिन अचानक ही यह रोहतांग दर्रे पर यह लापता हो गया। वहीं, विमान में सवार अन्य यात्रियों को ढूंढने के लिए 25 सितंबर से 10 अक्टूबर तक तलाशी अभियान जारी है। उक्त एक्सपीडिशन का उद्देश्य ऊंचाई वाले पर्वतीय इलाकों में लापता सेना के वीर योद्धाओं के परिवार को उनके संबंध में पूर्ण जानकारी प्रदान करना है।
आधिकारिक रिकॉर्ड से हुई पहचान
अधिकारियों ने बताया कि चंद्रभागा माउंटेन एक्सपीडिशन ने जिन चार और मृतकों के शव बरामद किए हैं। उनमें मलखान सिंह (पायनियर), सिपाही नारायण सिंह और क्राफ्ट्समैन थॉमस चरण (कॉर्प्स ऑफ इलेक्ट्रानिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स) शामिल हैं। मृतकों से मिले दस्तावेजों और उनके परिजनों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर इनकी पहचान की गई है। मलखान सिंह की पहचान उनकी जेब से मिले वाउचर से की गई है। जिसका बाद में पायनियर ऑफिस रिकॉर्ड से भी मिलान किया गया। वहीं, क्राफ्ट्समैन चरण केरल के पत्तनमतिट्टा जिले के रहने वाले थे और उनकी पहचान आधिकारिक पे-बुक से हुई है। उनकी मां एलेमा को उनके संबंध में जानकारी दे दी गई है। इसके अलावा सिपाही नारायण सिंह जो कि सेना की चिकित्सा कोर में कार्यरत थे। उन्हें भी आधिकारिक दस्तावेजों (पे-बुक) की मदद से ही पहचाना गया है। वह उत्तराखंड के गढ़वाल जिले के कोलपड़ी गांव के रहने वाले थे।
2019 में मिले थे पांच शव
अधिकारियों ने बताया कि दशकों से विमान में सवार लोगों के शव रोहतांग की बर्फीली पहाड़ियों में कहीं गुम थे। लेकिन मामले पर चर्चा की असल शुरुआत वर्ष 2003 में उस वक्त हुई। जब अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनरिंग ने विमान का मलबा बरामद किया था। इसके बाद सेना के डोगरा स्काउट्स दल ने वर्ष 2005, 2006, 2013 और 2019 में कई अभियान इस दिशा में चलाए। वर्ष 2019 में पांच शव बरामद किए गए थे।