Pakistan
- –हालात में आए मूलभूत और अप्रत्याशित बदलाव
- -इसलिए समझौते के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता
- -दोनों देशों की सरकारों के बीच चर्चा की शुरुआत करें
Pakistan : नई दिल्ली। भारत ने सिंधु जल समझौते (आईडब्ल्यूटी) की समीक्षा को लेकर पाकिस्तान को एक औपचारिक नोटिस भेजा है। इसमें हालात में आए मूलभूत और अप्रत्याशित बदलावों की वजह से अब इस संधि के पुनर्मूल्यांकन पर जोर दिया गया है। इन बदलावों में सीमा पार आतंकवाद को भी एक कारण के रूप में भारत ने शामिल किया है। सरकारी सूत्रों ने बुधवार को बताया कि भारत ने पाकिस्तान को समझौते के अनुच्छेद 12 (3) के तहत पिछले महीने के अंत में 30 अगस्त को यह नोटिस संधि के भेजा है। इसके जरिए पाकिस्तान से यह मांग की गई है कि वह दोनों देशों की सरकारों के बीच चर्चा की शुरुआत करे। जिससे समझौते की समीक्षा की जा सके। वहीं, विवादित किशनगंगा और रतले हाइड्रो परियोजना से इतर भारत ने सिंधु जल समझौते की समीक्षा को लेकर पाकिस्तान को यह नोटिस भेजा है।
9 साल की बातचीत के बाद हुआ समझौता
मालूम हो कि वर्ष 1947 में आजादी के बाद दोनों देशों के बीच कई प्राकृतिक संसाधनों को लेकर समझौते किए गए थे। इनमें से एक सिंधु जल समझौता था। जिस पर भारत और पाकिस्तान ने करीब 9 साल की बातचीत के बाद 19 सितंबर 1960 में हस्ताक्षर किए थे। इसमें विश्व बैंक एक हस्ताक्षरकर्ता के रूप में शामिल था। इसकी मदद से दोनों देशों के बीच बहने वाली नदियों के पानी के इस्तेमाल को लेकर सहयोग और जरूरी सूचना के आदान-प्रदान को लेकर एक तंत्र बनाया गया था।
जनसांख्यिकीय बदलाव, आतंकवाद से समीक्षा की दरकार
सूत्रों ने बताया कि भारत के नोटिस में समझौते की फिर से समीक्षा के लिए मौजूदा हालात में जिन मूलभूत और अप्रत्याशित बदलावों का उल्लेख किया गया है। उनका संबंध आईडब्ल्यूटी में शामिल विभिन्न अनुच्छेदों से है। वहीं, समझौते की समीक्षा के लिए जनसांख्यिकी बदलाव, पर्यावरण से जुड़े मामले, स्वच्छ ऊर्जा के विकास (भारत के उत्सर्जन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए) के साथ-साथ सीमा पार से लगातार जारी आतंकवाद जैसे मुद्दों को मुख्य वजह बताया गया है।
किशनगंगा, रतले को लेकर जारी विवाद
उन्होंने बताया कि किशनगंगा और रतले हाइड्रो परियोजना को लेकर दोनों देशों के बीच जारी एक पृथक विवाद के बीच भारत ने यह नोटिस भेजा है। किशनगंगा मामले में विश्व बैंक ने परस्पर रूप से स्वतंत्र विशेषज्ञ तंत्र और मध्यस्थता न्यायाधिकरण की कवायद शुरू की हुई है। उधर, सिंधु जल समझौते को लेकर भारतीय पक्ष ने समझौते के तहत विवाद निपटारा तंत्र पर फिर से ध्यान देने का आह्वान किया है। नई दिल्ली विवाद के निपटारे के लिए दो प्रक्रियाओं को शुरू करने के पक्ष में है। इसमें समझौते के प्रावधानों के उल्लंघन के समय त्रिस्तरीय ग्रेडेड तंत्र का प्रयोग शामिल है। साथ ही वह स्वतंत्र विशेषज्ञों की बातचीत से भी भारत समाधान चाहता है
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