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Jind : पितृ पक्ष की शुरुआत मंगलवार से, समापन दो अक्टूबर को

पितृ पक्ष मंगलवार से।पितृ पक्ष मंगलवार से।

Jind

  • हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होते हैं
  • भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 17 सितंबर को 11: 44 बजे से
  •  पूर्णिमा तिथि का समापन 18 सितंबर को सुबह आठ बजकर चार मिनट पर

Jind : जींद। पितृ पक्ष की शुरुआत हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से होती है। इस बार पितृ पक्ष 17 सितंबर मंगलवार से शुरू होने जा रहे हैं। इस दिन श्राद्ध पूर्णिमा रहेगी। पितृ पक्ष दो अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या या आश्विन अमावस्या के दिन समाप्त होंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 17 सितंबर को प्रात: 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होगा। पूर्णिमा तिथि का समापन 18 सितंबर को सुबह आठ बजकर चार मिनट पर होगा। श्राद्ध संपन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण मुहूर्त अच्छा रहेगा। कुतुप मूहूर्त प्रात: 11:51 से दोपहर 12:40, रौहिण मूहूर्त दोपहर 12:40 से 13:29 तथा अपराह्न काल 13:29 से 15:56 तक रहेगा।

पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध : नवीन शास्त्री

जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। पितृ पक्ष में पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दौरान न केवल पितरों की मुक्ति के लिए उनका श्राद्ध किया जाता है बल्कि उनके प्रति सम्मान भी व्यक्त किया जाता है। पितृ पक्ष के दौरान किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन, धन या वस्त्र का दान करें। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। पितृ पक्ष में पूर्वजों की मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म या पिंडदान किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति को अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि याद नहीं है तो वह आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन यह अनुष्ठान कर सकता है। ऐसा करने से भी पूर्ण फल प्राप्त होता है।

पितृ पक्ष के 15 दिन पितरों को समर्पित होते हैं

पितृ पक्ष में पूर्वजों की मृत्यु की तिथि के अनुसार उनका श्राद्ध किए जाने की परंपरा है। जिन लोगों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती है और उन लोगों का श्राद्ध अमावस्या तिथि के दिन किया जाता है। इस दौरान श्राद्ध कर्म या पिंडदान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। पितृ पक्ष में ब्राह्मण या जरूरतमंद को अन्नए धन्न और वस्त्र का दान करना चाहिए। पितृ पक्ष के 15 दिन पितरों को समर्पित होते हैं। इस दौरान श्राद्ध कर्म, दान, गरीबों को खाना खिलाने से पितरों की आत्माएं प्रसन्न होती हैं।

श्राद्ध की प्रमुख तिथियां
पितृ पक्ष प्रारंभ पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितंबर
प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध पितृपक्ष 18 सितंबर
द्वितीया तिथि का श्राद्ध 19 सितंबर
तृतीया तिथि का श्राद्ध 20 सितंबर
चतुर्थी तिथि का श्राद्ध 21 सितंबर
पंचमी तिथि का श्राद्ध 22 सितंबर
षष्ठी वसप्तमी तिथि 23 सितंबर
अष्टमी तिथि का श्राद्ध 24 सितंबर
नवमी तिथि का श्राद्ध 25 सितंबर
दशमी तिथि का श्राद्ध 26 सितंबर
एकादशी तिथि का श्राद्ध 27 सितंबर
द्वादशी तिथि का श्राद्ध 29 सितंबर
त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध 30 सितंबर
चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध 1 अक्टूबर
सर्वपितृ अमावस्या, पितृ पक्ष समाप्त 2 अक्टूबर

https://vartahr.com/jind-pitru-paksh…nds-on-october-2/

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