Health
- –डॉ. जैन बोले, रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा
- -इसके बिना शरीर हो जाता है बेकार, नहीं मिलता सकून
- -डीआर जैन न्यूरोकेयर एंड मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल कुरुक्षेत्र ने नि:शुल्क कैंप
Health : कुरुक्षेत्र। रीढ़ की हड्डी से संबंधित रोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो न केवल हमें सीधा खड़ा रहने में मदद करती है, बल्कि हमारे शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों को भी नियंत्रित करती है। यह विचार डी आर जैन न्यूरोकेयर एंड मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल कुरुक्षेत्र के न्यूरो सर्जन डॉ हिमांशु जैन ने गांव लाठरों में फ्री मेडिकल कैंप व जागरूकता अभियान के अंतर्गत व्यक्त किए।
रीढ़ की हड्डी से जुड़े सामान्य रोग
स्लिप डिस्क : इसमें रीढ़ की हड्डी के बीच स्थित डिस्क अपने स्थान से खिसक जाती है, जिससे गंभीर दर्द, हाथ-पैरों में झनझनाहट, और कमजोरी हो सकती है।
स्पॉन्डिलाइटिस : यह एक प्रकार का गठिया है जो रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है, जिससे रीढ़ में सूजन, दर्द, और अकड़न होती है।
स्कोलियोसिस : यह एक स्थिति है जिसमें रीढ़ की हड्डी एक ओर झुक जाती है, जिससे शरीर की संरचना में असमानता आ जाती है और इससे दर्द और अन्य शारीरिक समस्याएं हो सकती है।
ओस्टियोपोरोसिस : इसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और आसानी से टूट सकती हैं,जिससे रीढ़ की हड्डी भी प्रभावित होती है।
रोकथाम और इलाज के उपाय
सही मुद्रा: सही मुद्रा का पालन करें बैठते, खड़े होते और चलते समय रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। गलत मुद्रा रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती है।
नियमित व्यायाम करें : व्यायाम, विशेषकर योग और स्ट्रेचिंग, रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने में मदद करता है और लचीलापन बढ़ाता है।
विटामिन : कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर आहार हड्डियों को मजबूत बनाता है और ओस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम करता है।
वजन को नियंत्रित रखें : अतिरिक्त वजन रीढ़ की हड्डी पर दबाव डाल सकता है, जिससे स्लिप डिस्क और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
चिकित्सीय परामर्श लें : यदि आपको पीठ या गर्दन में लगातार दर्द, सुन्नता, या कमजोरी महसूस हो रही है, तो तुरंत चिकित्सीय परामर्श लें।
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