Nagpanchami
- मंदिर के दर पर पहुंचे करीब 3 लाख श्रद्धालु
- सबसे पहले श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरि महाराज और श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष व कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने त्रिकाल पूजा की
- नागपंचमी पर करीब एक घंटे चली त्रिकाल पूजा और भोग लगाने के बाद आम लोगों को दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश दिया गया
- शुक्रवार रात 12 बजे एक बार फिर से साल भर के लिए मंदिर के पट बंद कर दिए गए
Nagpanchami : उज्जैन। नागपंचमी पर उज्जैन में महाकाल मंदिर के शिखर पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट गुरुवार रात 12 बजे खोल दिए गए। सबसे पहले श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरि महाराज और श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष व कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने त्रिकाल पूजा की। करीब एक घंटे चली त्रिकाल पूजा और भोग लगाने के बाद आम लोगों को दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश दिया गया। नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट नाग पंचमी पर साल में एक बार ही खुलते हैं। शुक्रवार रात 12 बजे तक लगभग 3 लाख से ज्यादा श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने पहुंचे। दोपहर को भी करीब एक घंटे चली त्रिकाल पूजा और भोग लगाया गया।
फन फैलाए नाग पर विराजमान शिव-पार्वती
नागचंद्रेश्वर मंदिर में स्थित नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा 11वीं शताब्दी की है। इस प्रतिमा की विशेषता यह है कि इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर भगवान शिव और मां पार्वती विराजमान हैं। साथ ही नंदी और सिंह भी विराजमान हैं। भगवान शिव की पूरी दुनिया में यह एक अनोखी प्रतिमा है, जिसमें नाग शैया पर भोले बाबा विराजमान है। इस अद्भुत प्रतिमा के साथ मंदिर में सप्तमुखी नाग देव की प्रतिमा है।
पौराणिक मान्यताएं
- नागचंद्रेश्वर मंदिर को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं हैं। इसके अनुसार सांपों के राजा तक्षक ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न होकर भगवान ने तक्षक नाग को अमर होने का वरदान दिया।
- इस आशीर्वाद के बाद से ही नागराज तक्षक बाबा महाकाल की शरण में वास करते हैं। अमरत्व के साथ ही नागराज की अभिलाषा थी कि उनके एकांत में कोई बाधा नहीं हो। इसलिए यह मंदिर पूरे साल बंद रहता है, लेकिन नाग पंचमी के दिन नागचंद्रेश्वर महादेव की पूजा की जाती है।
- मंदिर को लेकर माना जाता है कि 1050 ईस्वी के आसपास परमार राजा भोज ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
- 1973 सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने महाकाल मंदिर का जीर्णोध्दार करवाया था।
- नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा में भगवान के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं।
- कहते हैं कि यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। ऐसी भी मान्यता है कि, उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।
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