Rohtak News
- माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में उमड़ी भक्तों की भारी भीड़
- शिवभक्तों ने शिवलिंग पर कच्चा दूध, धतुरा, भांग, दही, बादाम, गंगाजल, तुलसी व बेलपत्त से भगवान शिव की पूजा अर्चना की
- शिवजी को पाने के लिए माता पार्वती ने की घोर तपस्या : साध्वी मानेश्वरी देवी
Rohtak News : माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में ब्रह्मलीन गुरुमां गायत्री के सानिध्य में शुक्रवार को सावन माह की शिवरात्रि पर्व धूमधाम और भक्तिभाव से मनाया गया। गद्दीनशीन संचालिका साध्वी मानेश्वरी देवी ने भक्तों संग शिवलिंग पर महामृत्युंजय मंत्र जाप, मंत्रोच्चारण तथा विधि-विधानुसार बोले तेरी बम बम बम बोले और ओउम नम: शिवाय के जयघोषों के साथ शिवलिंग पर जलाभिषेक व रुद्राभिषेक किया। प्रात: काल से ही शिवभक्तों ने शिवलिंग पर कच्चा दूध, धतुरा, भांग, दही, बादाम, गंगाजल, तुलसी व बेल के पत्तों, फल-फ्रूट, फल से भगवान शिव की पूजा अर्चना करके सुख-समृद्धि की कामनाएं की। शिवभक्तों ने हरिद्वार से लाई कांवड़ का पूजन कर जलाभिषेक व रुद्राभिषेक किया। यह जानकारी सचिव गुलशन भाटिया ने दी।
आया-आया रे शिवरात्रि का त्यौहार आया… भजन पर झूमे शिवभक्त
भजन संध्या में आया आया रे शिवरात्रि का त्यौहार आया, भोले दी बारात चढ़ी गज-वज के सारेया ने भंग पीती रज-रज के, खाले बाजरे की रोटी भोलेनाथ…, भोले मैं ना चलूंगी तेरे साथ…,मेरा भोला है भंडारी करे नंदी की सवारी भक्ति गीतों पर गद्दीनशीन परमश्रद्धेया मानेश्वरी देवी व शिवभक्त भक्ति में नाचते-गाते और झूमते नजर आए। कार्यक्रम में साध्वी मानेश्वरी देवी के प्रवचन, हवन, कीर्तन, भजन संध्या और भंडारे का आयोजन हुआ।
शिवजी को पाने के लिए माता पार्वती ने की घोर तपस्या
शिवरात्रि पर्व पर प्रवचन देते हुए साध्वी मानेश्वरी देवी ने कहा कि शिव पुराण हिंदू धर्म के 18 पुराणों में एक है। 18 पुराणों की सूची में यह चौथे नंबर पर है। साथ ही शिव पुराण में भगवान शिव और माता पार्वती की गाथा के बारे में भी बतलाया गया है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए माता पार्वती ने वर्षों तप किए और व्रत रखे था, लेकिन शिव पुराण में उस समय पर वर्णन किया गया है, जब पार्वती जी के कठोर तप से भी भगवान शिव प्रकट नहीं हुए और पार्वती जी की तपस्या से पूरा संसार संतप्त हो उठा था। उन्होंने बताया कि तब नारदजी से पंचाक्षर मंत्र लेकर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पार्वती जी ने घोर तपस्या शुरू कर दी। वर्तमान दौर में ऐसा कोई मनुष्य नहीं है जो दुखी न हो लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता है कि हम भगवान का स्मरण करना ही छोड़ दें। भगवान का नाम स्मरण करने मात्र से हर एक विषम परिस्थिति को पार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आत्मा का परमात्मा से मिलन ही शिव में लीन हो जाना है।
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