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Paris Olympics : खेलों के महाकुंभ में भारत की ‘जोड़ियों’ ने भी जमाएं रंग

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Paris Olympics

  • जब पिता-पुत्र, पति-पत्‍नी, भाई-बहन और भाई-भाई ने रचा इतिहास
  • 26 जुलाई से 11 अगस्त तक फ्रांस की राजधानी पेरिस में होगा महाकुंभ

Paris Olympics : खेलों के महाकुंभ यानी ओलंपिक 2024 का आयोजन 26 जुलाई से 11 अगस्त तक फ्रांस की राजधानी पेरिस में होगा। यह खेलों का ऐसा महाकुंभ जिसमें खेलना हर खिलाड़ी का सपना होता है। इसके लिए हर खिलाड़ी अपनी जी जान लगा देता है। इसमें देश की ओर से खेलते हुए ‘पोडियम’ पर पदक के साथ खड़े होना अलग ही गर्व की अनुभूति देता है। भारत ने 1900 से ओलंपिक में भाग लेना शुरू किया है। ओलंपिक 1900 से 2020 तक अच्‍छी खासी संख्‍या में खिलाड़ी भारतीय दल का हिस्‍सा रहे हैं, इसमें पिता-पुत्र, भाई-भाई, भाई-बहन, बहन-बहन और पति-पत्‍नी की कुछ जोड़‍ियां भी शामिल हैं, जिन्होंने खेलों के इस महाकुंभ में इतिहास रचा और मेडल भी जीते। इन जोड़‍ियों में हॉकी के जादूगर ध्‍यानचंद दो कैटेगरी में शामिल हैं। ध्‍यानचंद और उनके भाई रुपसिंह ओलंपिक में गोल्‍ड जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्‍य रहे हैं। ध्‍यानचंद के बेटे अशोक कुमार भी बाद में मेंस हॉकी में भारतीय टीम की ओर से खेले। 1972 के म्‍यूनिख ओलंपिक में ब्रॉन्‍ज जीतने वाली भारतीय टीम में अशोक शामिल थे।

ये भाई-भाई
ध्‍यानचंद-रुपसिंह

Paris Olympics : ध्‍यानचंद-रुपसिंह
Paris Olympics : ध्‍यानचंद-रुपसिंह


हॉकी के जादूगर ध्‍यानचंद के अलावा उनके छोटे भाई रूपसिंह भी ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करने वाली भारतीय टीम का हिस्‍सा रहे हैं। दोनों भाई फॉरवर्ड की हैसियत से खेले। ध्‍यानचंद 1928, 1932 और 1936 में लगातार तीन ओलंपिक गोल्‍ड जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्‍सा थे, जबकि रूपसिंह 1932 और 1936 ओलंपिक की भारतीय टीम के हिस्सा रहे। दोनों ही प्‍लेयर का भारत को गोल्‍ड जिताने में अहम योगदान रहा।
पिता-पुत्र
ध्‍यानचंद-अशोक कुमार
ध्‍यानचंद ने 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक में भारत को गोल्‍ड दिलाने में अग्रणी भूमिका निभाई। ध्‍यानचंद के बेटे अशोक कुमार भी पिता की तरह ड्रिब्लिंग और स्टिकवर्क के लिए मशहूर थे। अशोक ने 1972 और 1976 के ओलंपिक में हिस्‍सा लिया। इसमें से 1972 के म्‍यूनिख ओलंपिक में भारतीय टीम ने ब्रॉन्‍ज मेडल जीता था।

वेस पेस और लिएंडर पेस
वेस पेस और लिएंडर पेस

वेस पेस और लिएंडर पेस
1972 के म्‍यूनिख ओलंपिक में जिस भारतीय टीम ने मेंस हॉकी का ब्रॉन्‍ज मेडल जीता था, उसमे टेनिस स्‍टार लिएंडर पेस के पिता वेस पेस भी शामिल थे। वेस मिडफील्‍डर की हैसियत से खेलते थे। ओलंपिक में वेस की इस कामयाबी के 24 साल बाद उनके बेटे लिएंडर ने टेनिस की सिंगल्‍स इवेंट में भारत के लिए मेडल जीता। संयोग देखिए कि लिएंडर की ओर से जीता गया यह मेडल भी पिता की तरह कांस्य ही था।

भाई-बहन

भाई-बहनडोला-राहुल
भाई-बहन
डोला-राहुल

डोला-राहुल
ओलंपिक की तीरंदाजी इवेंट में भाई-बहन की जोड़ी भारतीय टीम का हिस्‍सा रह चुकी हैं। बड़ी बहन डोला ने 2004 और 2008 के ओलंपिक खेलों में हिस्‍सा लिया था, जबकि राहुल बनर्जी 2012 के लंदन ओलंपिक की भारतीय टीम के सदस्‍य थे। ओलंपिक में डोला और राहुल ने एक साथ तो भाग नहीं लिया, लेकिन कुछ इवेंट में वे दोनों भारतीय दल का हिस्‍सा रहे हैं।

बहनेंगीता-बबीता
बहनें
गीता-बबीता

गीता-बबीता
गीता फोगाट 2012 के ओलंपिक में भारत की ओर से उतर चुकी हैं। गीता की छोटी बहन बबीता भी 2016 के रियो ओलंपिक में भारतीय दल की सदस्‍य थीं। इन दोनों की चचेरी बहन विनेश फोगाट भी टोक्‍यो ओलंपिक में खेल चुकी हैं।

पति-पत्‍नी की जोड़ियां

पति-पत्‍नी की जोड़ियांअतनु-दीपिका
पति-पत्‍नी की जोड़ियां
अतनु-दीपिका

अतनु-दीपिका
दीपिका कुमारी और अतनु दास की गिनती देश के अग्रणी तीरंदाज में की जाती है। दोनों ने ऑर्चरी की कई इवेंट में साथ शिरकत की। 2020 में अपने रिश्‍ते को आगे बढ़ाकर ये पति-पत्‍नी बने। दीपिका ने अब तक 3 ओलंपिक खेलों में हिस्‍सा लिया है। पेरिस ओलंपिक में भी वे जौहर दिखाती नजर आएंगी। वर्ष 2020 के टोक्‍यो ओलंपिक में तो ये पति-पत्‍नी के रूप मे भारत की ओर से खेलते हुए नजर आए थे।

साइना-कश्‍यप
साइना-कश्‍यप

साइना-कश्‍यप
ओलंपिक में भाग लेने वाले प्‍लेयर्स में पारुपल्‍ली कश्‍यप और साइना नेहवाल भी शामिल हैं जो बाद में पति-पत्‍नी बने। दुनिया की नंबर एक बैडमिंटन प्‍लेयर रहीं साइना की बात करें तो उन्‍होंने 2008, 2012 और 2016 के ओलंपिक में हिस्‍सा लिया। यही नहीं, 2012 के लंदन ओलंपिक में वे कांस्य जीती। कश्‍यप भी 2012 के लंदन ओलंपिक में खेले थे और बैडमिंटन की मेंस सिंगल्‍स इवेंट के क्‍वार्टर फाइनल तक पहुंचे थे। दोनों ने दिसंबर 2018 में शादी की और पति-पत्‍नी बने।

गोपीचंद और लक्ष्‍मी
गोपीचंद और लक्ष्‍मी

गोपीचंद और लक्ष्‍मी
बैडमिंटन के खेल में भारत की यदि बैडमिंटन में विश्‍व स्‍तर पर धूम है तो इसका पूरा श्रेय पुलेला गोपीचंद को जाता है। गोपीचंद ने बैडमिंटन से रिटायर होने के बाद कोचिंग शुरू की और बड़ी संख्‍या में प्‍लेयर्स के खेल को तराशा। गोपीचंद ने 2000 के सिडनी ओलंपिक और पीवीवी लक्ष्‍मी ने 1996 के अटलांटा ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्‍व किया। 2002 में दोनों विवाह बंधन में बंधे और अब पति-पत्‍नी हैं।

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