Supreme Court
- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला , प्रदेश सरकार के फैसले को रद किया
- अदालत के इस फैसले से हरियाणा में करीब 23 हजार नियुक्तियां प्रभावित होंगी
- हाईकोर्ट ने भी हरियाणा के फैसले को असंवैधानिक बताया था
Supreme Court
Supreme Court : नई दिल्ली। हरियाणा में भाजपा की नायब सिंह सैनी सरकार को सुप्रीम कोर्ट (supreme cort ) से बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को बरकार रखते हुए प्रदेश सरकार के फैसले को पलट दिया। हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी भर्ती में सामाजिक-आर्थिक आधार पर 5 नंबरों के आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने रद कर दिया और इस असंवैधानिक बताया है। इससे पहले हाईकोर्ट ने भी हरियाणा के फैसले को असंवैधानिक बताते हुए रद कर दिया था। बता दें कि हरियाणा सरकार ने कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी सीईटी (CET) में 1.80 लाख सालाना इनकम और घर में कोई भी सरकारी नौकरी नहीं होने वाले परिवारों को यह आरक्षण दिया था। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई और शीर्ष अदालत ने हरियाणा सरकार के फैसले के खिलाफ निर्णय दिया है। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) ने सुप्रीम कोर्ट में 4 अपीलें दायर की थीं। सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एसबीएन भट्टी ने मामले की सुनवाई की। बता दें, कि पहली सुनवाई में हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से दो अन्य याचिकाओं को शामिल करने को लेकर टाइम मांगा था।
23000 नियुक्तियां फंसी !
supreme cort के इस फैसले से हरियाणा में ग्रुप C और D में नियुक्ति पा चुके 23 हजार युवाओं पर अस पड़ेगा। इन्हें दोबारा परीक्षा देनी पड़सकती है। अगर वे इस परीक्षा में पास नहीं हो पाए तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा। इसके बाद सरकार को देबारा भर्ती प्रक्रिया शुरू करनी पड़ेगी।
हाईकोर्ट ने भी आरक्षण को बताया था असंवैधानिक
इससे पहले हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि उसने आरक्षण देने से पहले पहले न तो कोई डेटा एकत्रित किया और न ही कोई आयोग बनाया। इस प्रकार, पहले सीईटी में 5 अंकों का और फिर भर्ती परीक्षा में 2.5 अंकों का लाभ तो भर्ती का परिणाम पूरी तरह से बदल देगा। इन अंकों का फायदा देते हुए केवल पीपीपी धारकों को ही योग्य माना गया है जो संविधान के अनुसार सही नहीं है। हाईकोर्ट ने सभी पदों के लिए नए सिरे से आवेदन मांगने और 6 माह के भीतर भर्ती पूरी करने का हाईकोर्ट ने आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश से नियुक्ति पा चुके 23 हजार कर्मचारियों को नए सिरे आयोजित होने वाली भर्ती पूरी होने तक सेवा में बनाए रखने का आदेश दिया था यदि वे दोबारा आयोजित परीक्षा में पास होकर अपना स्थान नहीं बना पाते हैं तो उन्हें बर्खास्त करने का हाईकोर्ट ने आदेश दिया था।
401 श्रेणियों में निकाली गई थी भर्ती
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की ओर से ग्रुप सी और ग्रुप डी के लिए कुल 401 श्रेणियों की भर्ती निकाली गई थी। समान प्रकार की भर्तियों को क्लब करते हुए आयोग ने इन श्रेणियों के कुल 63 ग्रुप बनाए थे। ग्रुप सी के 32000 पद, इसी श्रेणी में टीजीटी के 7471 पद शामिल हैं। ग्रुप डी के 13000 से अधिक पद हैं। ग्रुप सी के 10,000 हजार ग्रुप डी के 13000 हजार पदों पर नियुक्ति भी दी जा चुकी है।
चुनावी साल में भाजपा को बड़ा झटका
हरियाणा में इसी साल सितंबर-अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर दिखाई देगा। पहले हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रदेश में सत्ताधारी दल को भारी पपेशानियों सामना करना पड़ सकता है। चूकि विधानसभा चुनाव होने में अब काफी कम समय रह गया है। ऐसे में नई नियुक्तियों के लिए तैरूारी करने में भी समय लगेगा और युवाओं को ज्वाइनिंग देने में भी। वहीं केंद्र सरकार भी इन दिनो नीट-यूजी जैसी परीक्षाओं में पेपर लीक और अनियमितताओं को सामना कर रही है। अब देखना यह है कि इतने कम समय में हरियाणा में भाजपा युवाओं के लिए क्या कदम उठाती है।